साधारण प्रकाश से भी संभव हैं पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया।
पिंक लाइट वर्टिकल फार्मिंग
Pink Light Verticle Farming
फसल को मिटटी पर उगाने की प्रक्रिया तो सदियों से चली आ रही है और जैसे जैसे हम तकनीक में आगे बढ़ने लगे वेसे ही नए-नए खेती कि प्रणाली भी अपनाये गए। विश्वस्तरीय उत्पादन बढ़ने के कारण खेती प्रणाली में नए जुगाड़ करने की आवश्यकता बढ़ गयी। किसानो के लिए इतनी सारी जनता को भोजन के स्त्रोत प्रदान कराना इतना भी सरल काम नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण है मौसम जिसका अभी तो कोई भरोसा ही नहीं किया जा सकता, यह कभी भी बदल जाता है, जो कि हाल के समय में काफी अप्रत्याशित ( unpredictable ) है। जिसकी वजह से पुराने प्रणाली से खेती करना थोडा कठिन हो जाता है। Artificial Farming असल ज़िन्दगी में भविष्य में आने वाली Food Insecurity को मुहं तोड़ जवाब दे सकता है।क्या हैं पिंक लाइट वर्टिकल फार्मिंग
What is Pink Light Verticle Farming
अभी तक सभी ने सुना हैं कि सूर्य का प्रकाश पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिये महत्वपूर्ण हैं लेकिन ये जरुरी नही कि सिर्फ सूर्य के प्रकाश में ही प्रकाश संश्लेषण कि क्रिया हो सकती हैं। आज के आधुनिक युग में मनुष्य तकनिकी क्षेत्र में इतने आधुनिक हो चुके हैं। कि हमने बिना मिट्टी के खेती करना सीख लिया हैं। वह तकनीक जिसमे बिना मिट्टी के खेती कि जाती हैं। हाइड्रोपोनिक ( Hydroponic ) कहलाती हैं इसी प्रकार हमने हवा में भी खेती करना सीख लिया हैं। इस तकनीक को एरोपोनिक ( Aeroponic cultivation ) कहते हैं। इस क्षेत्र में और आधुनिक होने के बाद अब हमने बिना मिट्टी और बिना सूर्य प्रकाश के खेती करना भी सीख लिया हैं। इस तकनीक को पिंक लाइट वर्टिकल फार्मिंग ( Pink Light Verticle Farming ) कहते हैं । इस प्रणाली में एक बंद घर में एक के उपर एक कई ट्रे रखी होती हैं इन ट्रे में हाइड्रोपोनिक तकनीक के द्वारा पौधे उगाय जाते हैं। और सूर्य के प्रकाश कि जगह पिंक लाइट का उपयोग किया जाता हैं। जैसा कि तस्वीर में दिखाई दे रहा हैं ।
कैसे काम करती हैं पिंक लाइट
How pink light works
पहला नीला (Blue) - नीला रंग पौधों में vegetative growth का कारण होता हैं।मतलब पौधों में पत्तियो का बनना और शुरुवाती बढ़त नीले रंग के कारण होती हैं।
दूसरा लाल रंग (Red) - लाल रंग जब नील के साथ मिला दिया जाता हैं। तब गुलाबी (Pink) रंग बनता हैं जिसका प्रभाव पौधों पर सबसे अधिक होता हैं। इस गुलाबी रंग के कारण पौधों में फूल और फल आते हैं।
पिंक लाइट फार्मिंग क्यों जरुरी हैं ?
Why Pink Light Farming is Important
जैसे जैसे समय आगे बढ़ रहा हैं। वैसे ही ख़राब मौसम,ग्लोबल वामिंग,ओलें,बाढ़,सूखा आदि अनेक समस्यां बढती जा रही हैं। जिनके कारण खेती करना और भी मुश्किल होता जा रहा हैं। खेती कि ज़मीन पर नई - नई इमारतें बनाई जा रही हैं। जिससे खेती कि ज़मीन धीरे - धीरे कम होती जा रही हैं। भविष्य में एक दमे ऐसा आने वाला हैं जब किसी के पास खेती तो क्या एक छोटा सा बगीचा बनाने कि भी जगह नही होगी लेकिन हम मनुष्य समय के साथ नई तकनीक का आविष्कार करते जा रहे हैं। ऐसे में पिंक लाइट फार्मिंग भले ही आज ज्यादा चर्चित नही हैं लेकिन भविष्य में यह तकनीक सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी ।पेड़-पौधों की पत्तियां हरी ही क्यों होती हैं
Why do leaves look green

कुछ अपवाद छोड़कर सभी पेड़-पौधों की पत्तियां हरी ही क्यों होती हैं, किसी दूसरे रंग की क्यों नहीं? यह तो आप जानते ही होंगे कि कोई वस्तु हमें उसी रंग की दिखती है जिस रंग को वह परावर्तित कर देती है। जैसे, कोई फूल लाल रंग का है तो इसका अर्थ यह हुआ कि उसकी पंखुड़ियां लाल रंग को नहीं सोख रही हैं अतः वह हमें लाल दिखाई देता है। ठीक यही बात पत्तियों पर भी लागू होती है।
सूर्य प्रकाश को तरंग लम्बाई (wavelength) के आधार पर एक्स तरंगें, पराबैंगनी तरंगें, दृश्य प्रकाश, इन्फ्रारेड तरंगें आदि हिस्सों में बांटा गया है। इसमें से एक छोटे से हिस्से के प्रति हमारी आंखें संवेदनशील हैं। प्रकाश संश्लेषण व विकिरण आधारित ज्यादातर जैविक प्रक्रियाएं सूर्य प्रकाश की विद्युत-चुंबकीय तरंगों के इसी हिस्से (और उसके इर्द-गिर्द के थोड़े से हिस्से) पर आधारित हैं। सूर्य की किरणों का जो हिस्सा हमारी आंखें देख सकती हैं। वही हमारे लिए 'प्रकाश' है। पेड़ पौधों व जंतुओं में पाए जाने वाले वे कार्बनिक पदार्थ जो सूर्य के इस हिस्से की विशिष्ट किरणों को सोखते हैं, रंजक कहलाते हैं। क्लोरोफिल, हीमोग्लोबिन, जेन्थोफिल और एन्थोसाइनिन ऐसे ही कुछ पिगमेंट (रंजक) हैं। क्लोरोफिल की विशेषता है कि वह सूर्य के प्रकाश में से हरे रंग की तरंगों को नहीं सोखता, इसीलिए चारों ओर दुनिया हरी भरी है।
Aeroponic cultivation
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया
Photosynthesis Process

प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया का सबसे प्रमुख घटक क्लोरोफिल है जो हर प्रकार के पौधों में पायी जाती है। इनका मुख्य काम सूर्य की रौशनी को सोखने का होता है। यह हरे रंग की होती है सूर्य के किरणों के लाल और नीले रंगो को सोख लेते हैं। इसका एक बैक्टीरियल संस्करण भी होता है जिसको बक्टेरिओक्लोरोफिल ( Bacteriochlorophyll) कहते हैं|


प्रकाश-संश्लेषण एक जटिल प्राकृतिक प्रक्रिया है जो दो भागों में विभाजित है:
प्रकाश रासायनिक चरण
प्रकाश रासायनिक चरण
(light reaction of photosynthesis in hindi)
इस प्रक्रिया में सूर्य के द्वारा प्रदान की गयी रौशनी का उपयोग होता है। क्योंकी यहाँ प्रकाश ऊर्जा अहम भूमिका निभाती है, अतः इसे प्रकाश निर्भित प्रक्रिया भी कहा जाता है।
जब क्लोरोफिल का अणु प्रकाश सोखता है यह ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रान को उच्च स्तर पर ले जाने का काम करता है।
इससे कई ऊर्जा सहित अणुओं का निर्माण होता है जो पानी की अणुओं को अलग करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का निर्माण करते हैं।
जैविक रासायनिक चरण
इस प्रक्रिया में सूर्य के द्वारा प्रदान की गयी रौशनी का उपयोग होता है। क्योंकी यहाँ प्रकाश ऊर्जा अहम भूमिका निभाती है, अतः इसे प्रकाश निर्भित प्रक्रिया भी कहा जाता है।
जब क्लोरोफिल का अणु प्रकाश सोखता है यह ऊर्जा का उपयोग करके इलेक्ट्रान को उच्च स्तर पर ले जाने का काम करता है।
इससे कई ऊर्जा सहित अणुओं का निर्माण होता है जो पानी की अणुओं को अलग करके ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का निर्माण करते हैं।
जैविक रासायनिक चरण
(organic reaction of photosynthesis in hindi)
बचे हए अणु इस भाग में हाइड्रोजन (जो पानी से बना था) और CO2 के साथ मिल जाते हैं और शर्करा बनता है।
इस चरण में प्रकाश की आव्यशकता नहीं होती। इस प्रक्रिया को कार्बन निर्धारण भी कहा जाता है।
बचे हए अणु इस भाग में हाइड्रोजन (जो पानी से बना था) और CO2 के साथ मिल जाते हैं और शर्करा बनता है।
इस चरण में प्रकाश की आव्यशकता नहीं होती। इस प्रक्रिया को कार्बन निर्धारण भी कहा जाता है।
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