आपने अकसर देखा होगा कि नमक को खुले में रखने से कुछ दिन के बाद वो चिपचिपा हो जाता है और इसी हाल में रहने पर पूरी तरह से पिघल जाता हैं।
नमक का चिपचिपा होने का कारण
ये ऐसा इसलिए होता है कि नमक हवा से नमी ( हवा में घुली पानी की बाफ) सोंख लेता हैं। जब तक नमक में नमी की मात्रा कम रहती है तब तक वो चिपचिपा बनकर रहता हैं। मगर जैसे नमी की मात्रा बढ़ती हैं तो पूरी तरह से पिघल जाता हैं।
जब हम जोंक / Leech कीड़े पर नमक छिड़कते हैं तो नमक तुरंत उसके शरीर / पेशीयों से पानी सोंखना शुरु कर देता हैं। उसके शरीर में पानी कम हो जाने के कारण वो छटपटाता है और आखिर मर जाता हैं। जोंक / Leech कीड़े की त्वचा / चमड़ी नाजूक होती हैं और उसमें से नमी की आवाजाही आसनी से होती हैं। नमक की कीड़े के शरीर के अंदर से पानी सोंक लेने की प्रक्रिया को रसायन विज्ञान में Osmotic Pressure के नाम से जाना जाता हैं।
यह परासरण की प्रक्रिया द्वारा काम करता है। जब जोंक नमक के संपर्क में आता है, तो एक आसमाटिक ढाल स्थापित किया जाता है, जो नमक की सांद्रता को कम करने के प्रयास में कोशिकाओं से बाहर निकलने के लिए जोंक के जैविक कोशिकाओं में पानी का कारण बनता है और जिससे आसमाटिक प्रवणता कम हो जाती है। कोशिकाओं से पानी की यह गति अंततः कोशिकाओं को मार डालेगी ... और अंततः लेक्च। घोंघे और स्लग के लिए भी काम करता है।
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