"मैं सिद्धार्थ शुद्धोधन प्यारा प्रजावती का राजदुलारा
लुम्बिनी में जन्म हुआ था कपिलवस्तु था घर हमारा .
गौतम गोत्र शाक्य वंशधारी क्षत्रीय वर्ण सनातनचारी
जन्मदात्री मेरी महामाया मौसी गौतमी बनी थी धाया
राज-वैभव कभी रास न आया याधोधरा भी लागे माया
पिता ने सारे जतन किये थे मोहपाश में बंध नहीं पाया .
देखा मैंने एक बीमार को एक अपाहिज वृद्ध लाचार को
मृत देह काठी पर पाया देख उसे वैराग्य समाया।"
लुम्बिनी में जन्म हुआ था कपिलवस्तु था घर हमारा .
गौतम गोत्र शाक्य वंशधारी क्षत्रीय वर्ण सनातनचारी
जन्मदात्री मेरी महामाया मौसी गौतमी बनी थी धाया
राज-वैभव कभी रास न आया याधोधरा भी लागे माया
पिता ने सारे जतन किये थे मोहपाश में बंध नहीं पाया .
देखा मैंने एक बीमार को एक अपाहिज वृद्ध लाचार को
मृत देह काठी पर पाया देख उसे वैराग्य समाया।"
गौतम बुद्ध का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। इनका जन्म 483 ईस्वी पूर्व तथा महापरिनिर्वाण 563 ईस्वी पूर्व में हआ था। बचपन में उनको राजकुमार सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध के जन्म से 12 वर्ष पूर्व ही एक ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्चा या तो एक सार्वभौमिक सम्राट या महान ऋषि बनेगा। 35 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। वह संसार का मोह त्याग कर तपस्वी बन गए थे और परम ज्ञान की खोज में चले गए थे। आइए आज हम आपको सिद्धार्थ के महात्मा बुद्ध बनने तक के सफर के बारे में बताते हैं।
सम्पूर्ण जानकारी के लिए नीचे दिय गए Link से pdf Download करे।
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