नहित याचिका जिसे हम अंग्रेजी में Public Interest Litigation के नाम से जानते है, यह कानूनी कार्यवाही का वह माध्यम है, जिसके द्वारा किसी वंचित समूह अथवा व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों को उठाने की आज़ादी दी जाती है, इसी के माध्यम से जनहित के मुद्दों में सुधार किया जाता है।

ऐसे जागरूक नागरिक जो सरकार की गलत नीतियों तथा फैसले की कमी का विरोध करते है तथा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्टाचार को कानून के माध्यम से समाप्त करना चाहते है उनके लिए, जनहित याचिका (PIL) एक शक्तिशाली उपकरण है।
जनहित याचिका से आशय:
जनहित याचिका (Public Interest Litigation) के माध्यम से कोई व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन या नागरिक समूह अदालत में ऐसे मुद्दों पर न्याय की मांग कर सकता है जिसमें एक बड़ा सार्वजनिक हित जुड़ा होता है। इसका उद्देश्य सामान्य लोगों को अधिक से अधिक कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका तक पहुंच प्रदान करना है।
जनहित याचिका दायर करने का अधिकार:
कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है, केवल शर्त यह है कि इसे निजी हित के बजाय सार्वजनिक हित में दायर किया जाना चाहिए। यदि कोई मुद्दा अत्यंत सार्वजनिक महत्व का है तो कई बार न्यायालय भी ऐसे मामले में स्वतः संज्ञान लेती है और ऐसे मामले को संभालने के लिए एक वकील की नियुक्ति करती है।
जनहित याचिकाओं को केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) अथवा उच्च न्यायालय (High Court) में दायर किया जा सकता है।
जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया:
जनहित याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को संबंधित मामले की पूरी तहकीकात करनी चाहिए, यदि जनहित याचिका कई व्यक्तियों से संबंधित है तो याचिकाकर्ता को सभी लोगों से परामर्श करना चाहिए। एक बार जब किसी व्यक्ति द्वारा जनहित याचिका दायर करने का निर्णय ले लिया जाता है, तो उसे अपने केस को मजबूत करने के लिए सभी संबंधित जानकारी और दस्तावेज एकत्र करने चाहिए। जनहित याचिका दायर करने वाला व्यक्ति खुद भी बहस कर सकता हैं या एक वकील को नियुक्त कर सकता है। किन्तु किसी भी मामले में, जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने से पहले वकील से सलाह लेनी चाहिए।
यदि जनहित याचिका (PIL) को उच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की दो प्रतियां जमा करनी पड़ती है। साथ ही, याचिका की एक प्रति अग्रिम रूप से प्रत्येक प्रतिवादी को भेजनी पड़ती है और इसका सबूत जनहित याचिका में जोड़ना पड़ता है।
यदि जनहित याचिका (PIL) को सर्वोच्च न्यायालय में दायर किया जाता है, तो अदालत में याचिका की पांच प्रतियां जमा करनी पड़ती है। प्रतिवादी को जनहित याचिका की प्रति केवल तभी भेजा जाता है जब अदालत द्वारा इसके लिए नोटिस जारी किया जाता है।
जनहित याचिका दायर करने का शुल्क:
किसी जनहित याचिका में वर्णित प्रत्येक प्रतिवादी के लिए 50 रूपये का शुल्क अदा करना पड़ता है और इसका उल्लेख याचिका में करना पड़ता है। हालांकि, पूरी कार्यवाही में होने वाला खर्च उस वकील पर निर्भर करता है, जिसे याचिकाकर्ता अपनी तरफ से बहस करने के लिए अधिकृत करता है।
ऐसे मुद्दे जिन पर जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने के संबंध में दिशानिर्देशों की एक सूची जारी की है जिसके अनुसार निम्नलिखित मामलों में जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है:
• मकान मालिक-किरायेदार से संबंधित मामले।
• सेवाओं से संबंधित मामले।
• पेंशन और ग्रेच्युटी से संबंधित मामले।
• दिशानिर्देशों की सूची में उल्लिखित 1 से 10 मदों से संबंधित मुद्दों को छोड़कर केन्द्र और राज्य सरकार के विभागों और स्थानीय निकायों के खिलाफ शिकायतें।
• चिकित्सा और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित मामले।
• उच्च न्यायालय या अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों की जल्दी सुनवाई के लिए याचिका।
जनहित याचिका अदालत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा स्वीकार की जाती है, इसलिए यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि मुख्य न्यायाधीश इस मामले को किस रूप में देखता है। उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायलय द्वारा किसी जनहित याचिका को स्वीकार करने की औसत दर 30 से 60 प्रतिशत तक है। आमतौर पर, उन जनहित याचिकाओं को स्वीकार किया जाता है, जिसमें वर्णित तथ्यों से न्यायाधीश सहमत होते हैं और उन्हें लगता है कि विषय महत्व का है और जनता के हित में है।
जनहित याचिका से संबंधित मामले में की सुनवाई में समय:

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